36 वंचित अनुसूचित जातियों को अब कॉलेज, यूनिवर्सिटी के दाखिले में मिलेगा 20 फीसदी आरक्षण

 


36 वंचित अनुसूचित जातियों को अब कॉलेज, यूनिवर्सिटी के दाखिले में मिलेगा 20 फीसदी आरक्षण


हरियाणा में एससी वर्ग की ही 36 वंचित जातियाें के युवा छात्रों को सरकार ने बड़ा तोहफा दिया है। इन जातियों के छात्रों को अब उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों के दाखिलों में 20 फीसद अलग से आरक्षण मिलेगा। जोकि एसी वर्ग के कुल 50 फीसद आरक्षण के दायरे में ही होगा। अधिसूचना जारी होते ही संभवत: अगले शैक्षणिक सत्र से युवा छात्रों को इसका लाभ मिलना शुरू हो जाएगा।
 

मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को हरी झंडी के बाद सरकार ने बुधवार को विधानसभा में  भी इस संदर्भ में एक संशोधन बिल पास करवा लिया है। हालांकि कुछ विधायकों ने इस पर कड़ा ऐतराज भी जताया, मगर सरकार उनका जवाब देते हुए इस बिल को पास करवाने में कामयाब रही।

जबरदस्त विरोध, मगर अडिग रही सरकार
बुधवार को हरियाणा विधानसभा में हरियाणा अनुसूचित जाति (सरकारी शैक्षणिक संस्थाओं में दाखिले में आरक्षण) विधेयक, 2020 पास किया। जैसे ही इस बिल को सदन में पेश किया गया तो कांग्रेसी विधायक गीता भुक्कल ने इसका विरोध किया, उन्होंने कहा कि अनुसूचित जातियों में आरक्षण की जैसी व्यवस्था चल रही है, उसे चलने दिया जाए। 


 



आरक्षण के लाभ को इस तरह विभक्त न किया जाए। गीता भुक्कल ने कहा कि ‘वंचित अनुसूचित जाति’ शब्द सरकार कौन से शब्दकोष से निकालकर लाई है। यह बिल पूरी तरह असंवैधानिक  और समाज को बांटने वाला है। भुक्कल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि आरक्षण में आरक्षण नहीं दिया जा सकता। हरियाणा एक ऐसा प्रदेश है जो पहले ही जाट-नॉन जाट का दंशे झेल रही है। 

सरकार अनुसूचित जाति ए और बी वर्ग को क्यों लड़वाना चाहती है। इस दौरान जब होडल विधायक जगदीश नायर ने बिल का समर्थन किया तो इसका विरोध कर रहे  जजपा विधायक ईश्वर सिंह की उनसे नोकझोंक हो गई। इसी मुद्दे डिप्टी स्पीकर रणबीर सिंह गंगवा और गीता भुक्कल में भी बहस हो गई। लक्ष्मण नापा और धर्मपाल गोंदर ने भी बिल का समर्थन किया। 

विधायक ईश्वर सिंह ने भी सरकार से इस बिल पर पुनर्विचार करने की मांग की। सदन में विधायक ने इस बिल के पास होने तक कई बार टोका-टोकी और तीखी बहस की। उधर,  मगर मुख्यमंत्री ने विभिन्न तथ्यों के साथ सदन को बताया कि इन वंचित अनुसूचित जातियों के और बेहतर शैक्षणिक विकास के लिए ये निर्णय बहुत जरूरी था। इसलिए सरकार ने हर पहलु पर मंथन के बाद इसे पारित किया है।




इन वंचित अनुसूचित जातियों को मिलेगा इसका लाभ



इस बिल के पास होने से अद धर्मी, वाल्मीकि, बंगाली, बरार-बुरार-बेरार, बटवाल-बरवाला, बोरिया-बावरिया, बाजीगर, बंजारा, चनल, दागी, दरेन, देहा-धाया-धेइया, धानक, धोगरी-धांगरी-सिग्गी, डुमना- महाशा-डूम, गगरा, गंधीला-गंदील-गंदोला, कबीरपंथी-जुलाहा, खटीक, कोरी, कोली, मरीजा-मरेच,  मजहबी-मजहबी सिख, मेघ-मेघवाल, नट-बदी, ओड, पासी, पेरना, फरेरा, संहाई, संहाल, सांसी-भेदकुट-मनेश, संसोई, सपेला-सपेरा, सरेरा, सिकलीगर-बरीया व सिरकीबंद जातियों के युवा छात्रों को 20 फीसद अलग आरक्षण  का लाभ मिलेगा।

इन जातियों के सिर्फ 3.53 फीसद लोग है ग्रेजुएट
सरकार ने इस बिल का आधार सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (एसईससी) सर्वेक्षण 2011 को बनाया है। जिसके अंतर्गत ये खुलासा होता है कि इन वंचित अनुसूचित जातियों के कम ही बच्चे उच्चतर शिक्षा  ले पाते हैं। आंकड़ों से पता चला है कि शिक्षा के मामले में वंचित अनुसूचित जातियों की केवल 3.53 प्रतिशत आबादी ही ग्रेजुएट है, 3.75 प्रतिशत वरिष्ठ माध्यमिक स्तर की है और 6.63 प्रतिशत मैट्रिक या माध्यमिक स्तर की है।



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