मुख्यमंत्री के थैले से बड़ी सौगात मिलने से ना उम्मीद शहर की सरकार
प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल 17 फरवरी को शुरू हो रहे बजट सत्र में साल 2020-21 का बजट पेश करेंगे। क्योंकि मुख्यमंत्री के पास ही वित्त मंत्रालय है। शहर की सरकार को मुख्यमंत्री के पिटारे से बजट में किसी बड़ी सौगात की उम्मीद नहीं है। मेयर मनमोहन गोयल का कहना है कि निगम का 96 करोड़ रुपये प्रदेश सरकार की तरफ बकाया है। इसमें 28 करोड़ की स्टांप ड्यूटी राजस्व विभाग के पास है तो 14 करोड़ का प्रॉपर्टी टैक्स सरकारी विभागों की तरफ बकाया है। इसके अलावा राज्य सरकार की अनुमति से पिछले वित्त वर्ष में जो काम हुए, उनका 54 करोड़ बकाया है। इतनी राशि अगर सरकार जारी कर दे तो निगम पूरे साल काम चला लेगा। उधर, निगम आयुक्त ने मंगलवार को निगम के बजट को लेकर अधिकारियों की मीटिंग ली। मीटिंग में सभी ब्रांच अध्यक्षों से चालू वित्त वर्ष में आय व व्यय और आगामी वित्त वर्ष के लिए संभावित खर्च व आय का ब्योरा मांगा है।
भाजपा की पिछली सरकार में स्थानीय विधायक मनीष ग्रोवर न केवल सहकारिता मंत्री रहे, बल्कि उनके पास शहरी निकाय विभाग में राज्य मंत्री का दर्जा भी रहा। इसके अलावा मुख्यमंत्री से उनके अच्छे रिश्ते रहे हैं। अबकी बार ग्रोवर रोहतक शहर से चुनाव हार गए। साथ ही जिले के अंदर महम, कलानौर व गढ़ी सांपला-किलोई से कांग्रेस जीती है। ऐसे में रोहतक शहर ही नहीं, जिले के लिए आवाज उठाने वाला सरकार के अंदर कोई नहीं है। अगले सप्ताह मुख्यमंत्री अपने दूसरे कार्यकाल में बजट पेश करेंगे। इसके लिए 17 फरवरी से बजट सत्र शुरू हो रहा है। बजट के अंदर रोहतक नगर निगम को ज्यादा उम्मीदें नहीं हैं। क्योंकि पिछले माह की 18 जनवरी को सीएम मनोहर लाल ने प्रदेश के सभी 10 निगमों के मेयर व आयुक्तों की चंडीगढ़ में मीटिंग ली थी। मीटिंग में सीएम ने साफ कहा था कि अब सरकार से केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं से कोई फंड नहीं मिलेगा। निगम आत्म निर्भर बनने के लिए कदम उठाएं।
पूरे साल सरकार भरोसे हुए काम, निगम ने चलाया अपना काम
नगर निगम का हर माह 9 करोड़ के करीब खर्च है। इसमें फंड का 3 करोड़ से ज्यादा हिस्सा अधिकारियों व कर्मचारियों के वेतन, भत्तों व पेंशन में चला जाता है। जबकि 5 करोड़ से ज्यादा स्वच्छता, पार्क, सफाई, मैन पावर से लेकर कम्यूनिटी सेंटरों की देखरेख और दूसरे कार्यों पर खर्च हो जाता है। बाकी 18 लाख रुपये प्रतिमाह गोशाला पर खर्च हो रहा है। जबकि निगम की औसत मासिक आय खर्च से 50 प्रतिशत कम है। बकौल मेयर साल 2019-20 में निगम ने विकास कार्यों पर एक पैसा खर्च नहीं किया। ज्यादातर विकास कार्य केंद्र व राज्य सरकार के फंड से शुरू किए गए। अब सरकार द्वारा अचानक हाथ खींचने से निगम की हालत पतली है।
दो माह में 15 करोड़ वसूली का रखा टारगेट
उधर, नगर निगम आयुक्त प्रदीप गोदारा ने मंगलवार को निगम के साल 2020-21 के बजट को लेकर अधिकारियों की मीटिंग ली। मीटिंग में इंजीनियरिंग ब्रांच, सफाई ब्रांच, प्रॉपर्टी टैक्स ब्रांच, हेल्थ व एलओ ब्रांच के अधिकारी भी मौजूद रहे। आयुक्त ने तीन घंटे चली मीटिंग में ब्रांच अधिकारियों से एक-एक करके पूरे साल की आय व अब तक हुए खर्च का ब्यौरा मांगा। साथ ही हिदायत दी कि ब्रांच अध्यक्ष बताएं, कम खर्च में नए साल में कैसे काम चलाएंगे। आयुक्त ने टैक्स ब्रांच के अधिकारियों को हिदायत दी कि फरवरी व मार्च माह में बकाया प्रॉपर्टी टैक्स के 15 करोड़ रुपये वसूलने का टारगेट रखा गया है। इसके लिए निगम के अधिकारी सीलिंग अभियान चलाएं, ताकि बकाया वसूला जा सके।
अब तक नगर निगम विकास कार्यों को लेकर फंड के लिए केंद्र व राज्य सरकार के ऊपर निर्भर रहा है, लेकिन इस बार सीएम मनोहर लाल प्रदेश के सभी 10 निगमों को पिछले माह ही बता चुके हैं कि सरकार केवल केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं के लिए फंड देगी। निगम का 96 करोड़ रुपये प्रदेश सरकार की तरफ बकाया है। इतनी राशि अगर सरकार जारी कर दे तो निगम पूरे साल काम चला लेगा।
- मनमोहन गोयल, मेयर नगर निगम
सीएम ने 18 जनवरी को हुए मीटिंग में निगम को आत्मनिर्भर बनने की सलाह दी थी। ऐसे में प्रदेश सरकार से बजट में कुछ मिलेगा या नहीं, इस पर एक अधिकारी होने के नाते कोई टिप्पणी नहीं कर सकते। निगम प्रशासन ने अपने स्तर पर आत्मनिर्भर बनने के लिए पुख्ता कदम उठाए हैं। फरवरी व मार्च माह में 15 करोड़ बकाया प्रॉपर्टी टैक्स वसूलने का लक्ष्य रखा गया है। 13 फरवरी तक साल 2020-2021 का अनुमानित बजट तैयार करके निगम पार्षदों व मेयर को भेज दिया जाएगा। 18 फरवरी को बजट को लेकर हाउस की मीटिंग भी है।
- प्रदीप गोदारा, आयुक्त नगर निगम